Friday, 10 April 2015

जिस पल आपकी मृत्यु हो जाती है , उसी पल से आपकी पहचान एक " बॉडी" बन जाती

जिस पल आपकी मृत्यु हो जाती है , उसी पल से आपकी पहचान एक " बॉडी" बन जाती है ।
अरे
"बॉडी " लेकर आइये ,
"बॉडी " को उठाइये ,
"बॉडी " को सुलाइये ,
ऐसे शब्दों से आपको पुकारा जाता है , वे लोग भी आपको आपके नाम से नहीं पुकारते ,
जिन्हें प्रभावित करने के लिए आपने अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर दी ।

इसलिए निर्मिती को नहीं "निर्माता " को प्रभावित करने के लिए जीवन जिओ ।
जीवन में आने वाली हर चुनौती को स्वाकार करो ।
अपनी पसंद की चीजों के लिए खर्चा कीजिए ।
इतना हँसिए कि पेट दर्द हो जाए ।
आप कितना भी बुरा नाचते हो , फिर भी नाचो ।
उस खुशी को महसूस कीजिए।
फोटोज़ के लिए पागलों वाली पोज़ दीजिए ।
बिल्कुल छोटे बच्चे बन जाइए।
क्योंकि मृत्यु जिंदगी का सबसे बड़ा लॉस नहीं है ।
लॉस तो वो है
कि आप ज़िंदा होकर भी आपके अंदर ज़िंदगी जीने की आस खत्म कर चुके हैं ।
हर पल को खुशी से जीने को ही ज़िंदगी कहते हैं ।

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