Saturday 13 September 2014

प्रेरणादायक कथा ::

प्रेरणादायक कथा ::
---------------------पिज्जा------------------------
पत्नी ने कहा - आज धोने के लिए ज्यादा कपड़े मत निकालना…
पति- क्यों??
उसने कहा..- अपनी काम वाली बाई दो दिन नहीं आएगी…
पति- क्यों??
पत्नी- गणपति के लिए अपने नाती से मिलने बेटी के यहाँ जा रही है, बोली थी…
पति- ठीक है, अधिक कपड़े नहीं निकालता…
पत्नी- और हाँ!!! गणपति के लिए पाँच सौ रूपए दे दूँ उसे? त्यौहार का बोनस..
पति- क्यों? अभी दिवाली आ ही रही है, तब दे देंगे…
पत्नी- अरे नहीं बाबा!! गरीब है बेचारी, बेटी-नाती के यहाँ जा रही है, तो उसे भी अच्छा लगेगा… और इस महँगाई के दौर में उसकी पगार से त्यौहार कैसे मनाएगी बेचारी!!
पति- तुम भी ना… जरूरत से ज्यादा ही भावुक हो जाती हो…
पत्नी- अरे नहीं… चिंता मत करो… मैं आज का पिज्जा खाने का कार्यक्रम रद्द कर देती हूँ… खामख्वाहपाँच सौ रूपए उड़ जाएँगे, बासी पाव के उन आठ टुकड़ों के पीछे…
पति- वा, वा… क्या कहने!! हमारे मुँह से पिज्जा छीनकर बाई की थाली में??
तीन दिन बाद… पोंछा लगाती हुई कामवाली बाई से पति ने पूछा...
पति- क्या बाई?, कैसी रही छुट्टी?
बाई- बहुत बढ़िया हुई साहब… दीदी ने पाँच सौ रूपए दिए थे ना.. त्यौहार का बोनस..
पति- तो जा आई बेटी के यहाँ…मिल ली अपने नाती से…?
बाई- हाँ साब… मजा आया, दो दिन में 500 रूपए खर्च कर दिए…
पति- अच्छा!! मतलब क्या किया 500 रूपए का??
बाई- नाती के लिए 150 रूपए का शर्ट, 40 रूपए की गुड़िया, बेटी को 50 रूपए के पेढे लिए, 50 रूपए के पेढे मंदिर में प्रसाद चढ़ाया, 60 रूपए किराए के लग गए.. 25 रूपए की चूड़ियाँ बेटी के लिए और जमाई के लिए 50 रूपए का बेल्ट लिया अच्छा सा… बचे हुए 75 रूपए नाती को दे दिए कॉपी-पेन्सिल खरीदने के लिए… झाड़ू-पोंछा करते हुए पूरा हिसाब उसकी ज़बान पर रटा हुआ था…
पति- 500 रूपए में इतना कुछ???
वह आश्चर्य से मन ही मन विचार करने लगा...उसकी आँखों के सामने आठ टुकड़े किया हुआ बड़ा सा पिज्ज़ा घूमने लगा, एक-एक टुकड़ा उसके दिमाग में हथौड़ा मारने लगा… अपने एक पिज्जा के खर्च की तुलना वह कामवाली बाई के त्यौहारी खर्च से करने लगा… पहला टुकड़ा बच्चे की ड्रेस का, दूसरा टुकड़ा पेढे का, तीसरा टुकड़ा मंदिर का प्रसाद, चौथा किराए का, पाँचवाँ गुड़िया का, छठवां टुकड़ा चूडियों का, सातवाँ जमाई के बेल्ट का और आठवाँ टुकड़ा बच्चे की कॉपी-पेन्सिल का..आज तक उसने हमेशा पिज्जा की एक ही बाजू देखी थी, कभी पलटाकर नहीं देखा था कि पिज्जा पीछे से कैसा दिखता है… लेकिन आज कामवाली बाई ने उसे पिज्जा की दूसरी बाजू दिखा दी थी… पिज्जा के आठ टुकड़े उसे जीवन का अर्थ समझा गए थे… “जीवन के लिए खर्च” या “खर्च के लिए
जीवन” का नवीन अर्थ एक झटके में उसे समझ आ गया…

Tuesday 9 September 2014

बचपन तो होता है निराला

बचपन तो होता है निराला
निश्छल, निर्मल,मस्ती वाला
दुनिया से उसको क्या मतलब
वो तो खुद ही भोला- भाला ।
मां की गोदी में लोरी
सुन कर वह तो सो जाता
बातें करता परियों के संग
सपनों में वो मतवाला ।
ना कोई चिंता,ना ही फ़िकर
मस्ती में बीते हर पल
चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान
देख के हंस दे रोने वाला।
बचपन सबके संग में खेले
ऊँच नीच की बात न मन में
सबके दिल को प्यार से जीते
वो तो है मन मोहने वाला।
वो धमा चौकड़ी,वो लड़ी पतंग
वो ब्याह रचाना गुड़िया का गुड्डे के संग
वो पूड़ी हलवा मेवे वाला
सच में वो बचपन अलबेला।
कुछ खट्टा कुछ मीठा बचपन
होता कुछ कुछ तीखा भी बचपन
भूले से भी ना भूलने वाला
यादों में हरदम बसने वाला।
काश ये बचपन हरदम रहता
दुनिया का उसपर रंग ना चढता
कोई अगर मुझसे पूछे तो
माँग लूँ दिन फ़िर बचपन वाला

Monday 1 September 2014

तुलसी की जगह मनी प्लांट ने ले ली..!

तुलसी की जगह मनी प्लांट ने ले ली..! चाची की जगह आंटी ने ले ली..! पिता जी डेड हो गये..! भाई तो अब ब्रो हो गये..! बेचारी बेहन भी अब सिस हो गयी..! दादी की लोरी तो अब टांय टांय फिस्स हो गयी..! टी वी के सास बहू में भी अब साँप नेवले का रिश्ता है..! पता नहीं एकता कपूर औरत है या फरिश्ता है..!!! जीती जागती माँ बच्चों के लिए ममी हो गयी..! रोटी अब अच्छी कैसे लगे मैग्गी जो इतनी यम्मी हो गयी..! गाय का आशियाना अब शहरों की सड़कों पर बचा है..! विदेशी कुत्तों ने लोगों के कंधों पर बैठकर इतिहास रचा है..! गर्लफ्रेंड सबकी ख़ास हो गई माँ बहन की गाली अब आम हो गई बहुत दुखी हूँ ये देखकर दिल टूट रहा है ।। हमारे द्वारा ही हमारी भारतीय सभ्यता का साथ छूट रहा है.....