Friday 14 April 2017

Dedicated to all boys

बेटे भी घर छोड़ के जाते हैं..

अपनी जान से ज़्यादा..प्यारा लेपटाॅप छोड़ कर...

अलमारी के ऊपर रखा...धूल खाता गिटार छोड़ कर...

जिम के सारे लोहे-बट्टे...और बाकी सारी मशीने...

मेज़ पर बेतरतीब पड़ी...वर्कशीट, किताबें, काॅपियाँ...

सारे यूँ ही छोड़ जाते है...बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!

अपनी मन पसन्द ब्रान्डेड...जीन्स और टीशर्ट लटका...

अलमारी में कपड़े जूते...और गंध खाते पुराने मोजे...

हाथ नहीं लगाने देते थे... वो सबकुछ छोड़ जाते हैं...

बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!

जो तकिये के बिना कहीं...भी सोने से कतराते थे...

आकर कोई देखे तो वो...कहीं भी अब सो जाते हैं...

खाने में सो नखरे वाले..अब कुछ भी खा लेते हैं...

अपने रूम में किसी को...भी नहीं आने देने वाले...

अब एक बिस्तर पर सबके...साथ एडजस्ट हो जाते हैं...

बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!

घर को मिस करते हैं लेकिन...कहते हैं 'बिल्कुल ठीक हूँ'...

सौ-सौ ख्वाहिश रखने वाले...

अब कहते हैं 'कुछ नहीं चाहिए'...

पैसे कमाने की होड़ में...

वो भी कागज बन जाते हैं...

सिर्फ बेटियां ही नहीं साहब...

. . . . बेटे भी घर छोड़ जाते हैं..!


Happy vacation - Friend की घरवाली मैके गई

Friend की घरवाली मैके गई तब वो ऑफिस में था। जब वो घर पहुँचा तो उसको ये नोट टीवी पर चिपका मिला
.
माँ के घर जा रही हूँ बच्चों को ले के। नीचे के बातों पर ध्यान से अमल करना।
. .

1 - दोस्तों को घर बुला के कबाडखाना मत बना देना। पिछली बार चार लार्ज पिझ्झा के बिल मिले थे सोफे के नीचे ...

3 - चश्मा आईने के पास रखना। पिछले बार फ्रीज में मिला था ।

4 - काम वाली बाई की पगार दे चुकी हूँ ।
फोकट में प्यार जताने की कोई ज़रूरत नहीं ।

5 - तड़के उठकर पड़ोसियों को  जगा के पेपर आया के नहीं यह पूछने की जरूरत नही।
हमारा पेपरवाला उनसे अलग हैं ।..
और दूधवाला और लाॅन्ड्रीवाला भी।

6 - तुम्हारी अंडरवियरें अलमारी के नीचे के खानो में हैं और बच्चों की उपर के खाने में रखी होती है । पिछले बार की तरह बच्चों की पहन के मत चले जाना।....

7 - तुम्हारी सारी रीपोर्ट नाॅर्मल हैं ।
बार बार उस लेडी डाॅक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं ।

8 - मेरी बहन और भाभी का बर्थ डे पिछले महिने ही हो गया हैं । रात को फोन करके उनको विश करने की कौनो जरूरत नहीं ।

9 - वाय-फाय का पासवर्ड बदल दिया हैं । जल्दी से सो जाना।....

10 -ज्यादा खुश होने और चहकने की जरूरत नहीं है... क्योंकि मिसेस खन्ना , मिसेस अय्यर , मिसेस त्रिवेदी , मिसेस  अन्सारी, मिसेस रस्तोगी, मिसेस चतुर्वेदी सभी के सभी बाहर गाँव जाने वाली हैं ।

11. शक्कर, पत्ती, काॅफी मांगने के बहाने उस कलमुही प्रिया के घर पे बार बार जाने का नही। मैंने  सारी चीजें ला के रख दी है।

और सबसे जरूरी बात .....

12 - ओव्हरस्मार्ट बनने की कोशिश मत करो। मैं किसी भी वक्त वापस आ सकती हूँ ।👱🏻‍♀

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Happy vacation
😆😆😆😆😆

Wednesday 5 April 2017

बड़ी मेहनत के बाद मैंने सरकारी नौकरी पायी है,


नौकरी में आया तो जाना, यहाँ एक तरफ कुआँ तो दूसरी तरफ खाई है।

🚇*जहाँ कदम कदम पर ज़ि ल्लत, और घड़ी घड़ी पर ताने हैं*

यहाँ मुझे अपनी ज़िन्दगी के कई साल बिताने हैं।

🚇अपनी गलती ना हो लेकिन क्षमा याचना हेतु हाथ फैलाने हैं.

फ़िर भी बात-बात पे चार्जशीट और Punishment ही पाने हैं.

🚇जानता हूँ ये 'अग्निपथ' है, फिर भी मैं चलने वाला हूँ,

क्योंकि मैं सरकारी नौकरी वाला हूँ।

🚇जहाँ एक तरफ मुझे प्रशासन की, और दूसरी तरफ पब्लिक की भी सुननी है,

यानी मुझे दो में से एक नहीं, बल्कि दोनों राह चुननी हैं।

🚇ड्यूटी अगर लेट हुयी तो अधिकारी और पब्लिक चिल्लाते हैं.

गलती चाहे किसी भी की भी हो सजा तो हम ही पाते हैं.

🚇दो नावों पे सवार हूँ फिर भी सफ़र पूरा करने वाला हूँ,

क्योंकि मैं सरकारी नौकरी वाला हूँ।

🚇आसान नहीं है सबको एक साथ खुश रख पाना,

परिवार के साथ वक़्त बिताना, और Officeमें job बचाना।

🚇परिवार के साथ बमुश्किल कुछ वक़्त ही बिता पाता हूँ,

घर जैसे कोई मुसाफिर खाना हो, वहां तो बस आता और जाता हूँ।

🚇फिर भी हर मोड़ पर मैं अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने वाला हूँ,

क्योंकि मैं सरकारी नौकरी वाला हूँ

🚇Promotion, incriment की बात पर, हमें सालो लटकाया जाता है,

हक़ की बात करने पर ठेंगा दिखलाया जाता है।

🚇ये एक लड़ाई है, इसमें सबको साथ लेकर चलने वाला हूँ,

क्योंकि मै सरकारी नौकरी वाला  हूँ।

🚇 देश समाज में सरकारी नौकरों के आरामपरस्त होने का बड़ा बवाल है

छुट्टी मिली ना घर जा सके, Duty में ही ईद-दिवाली-क्रिसमस मनाने का अजब कमाल है।

🚇टिफ़िन से टिफ़िन जब मिलते हैं, तो एक नया ही ज़ायका बन जाता है,

खुद के बनाये खाने में, और घर के खाने में फ़र्क़ साफ़ नज़र आता है।

🚇मजबूरी ने इतना कुछ सिखाया, आगे भी बहुत कुछ सीखने वाला हूँ,

क्योंकि मैं सरकारी नौकरी वाला हूँ।

🚇 लोग समझते है कि बड़ा मजा करते है, सरकारी नौकरी में

🚇 अब उन्हें कौन समझाए कि सरकारी कर्मी के लिए सरकार के पास सिर्फ वादे है,

पब्लिक चाहे मनमानी करे, स्टाफ के लिए बड़े सख्त कायदे हैं।

🚇 सबको मैं बदल नहीं सकता, इसलिए अब ख़ुद को बदलने वाला हूँ,

क्योंकि मैं सरकारी नौकरी  वाला हूँ।

_(ये कविता मेरे समस्त सरकारी कर्मियो को समर्पित है।_

Why is it so hot??? ☀



Pls. forward this message to all your friends and request them to forward it .

VERY IMPORTANT:
Max Temperatures recorded in some Indian cities:

☀Lucknow 47 degrees
☀Delhi 47 degrees
☀Agra 45 degrees
☀Nagpur 49 degrees
☀Kota 48 degrees
☀Hyderabad 45 degrees
☀Pune 42 degrees
☀Ahmedabad 46 degrees
☀ Mumbai 42 degrees
☀ Nashik 40 degrees
☀Bangalore 40 degrees
☀ Chennai 45 degrees

Next years these cities will cross 50 degrees. Even AC or fan will not save you in summer..

Why is it so hot ???

In last 10 years over 10 crore trees were cut for widening roads and highways.

But not more than a lakh trees has been planted by govt. or public.

How to make India cool ???

Please do not wait for government to plant trees.

Sowing seeds or planting trees does not cost much.

Just collect seeds of Shatavari, Bel, Peeple, Tulsi, mango, Lemon, Jamun, Neem, Custard Apple, Jack fruit, etc.

Then dig two-three inch hole on open spaces, roadside, footpaths, highways, gardens and also in your society or bungalow.

Bury these seeds in each hole with soil and then water them every two days in summer.

In rainy season no need to water them.

After 15 to 30 days small plants will be born.

Please nurture them and ensure they grow big.

Let us make this a National movement and plant 10 crore trees all over India.

We should stop temperature from crossing 50 degrees.....

Please plant maximum trees and forward this message to everyone. Lets distribute saplings as return gifts during functions, birthdays etc.          
1 plant 1 whtsapp ...we will easily reach 10 cr plant.  

बहुत सुन्दर लाइन Ek bar jroor pdhe

बहुत सुन्दर लाइन
Ek bar jroor pdhe

एक संत की कथा में एक बालिका खड़ी हो गई।
चेहरे पर झलकता आक्रोश...

संत ने पूछा - बोलो बेटी क्या बात है?

बालिका ने कहा- महाराज हमारे समाज में लड़कों को हर प्रकार की आजादी होती है।
वह कुछ भी करे, कहीं भी जाए उस पर कोई खास टोका टाकी नहीं होती।
इसके विपरीत लड़कियों को बात बात पर टोका जाता है।
यह मत करो, यहाँ मत जाओ, घर जल्दी आ जाओ आदि।

संत मुस्कुराए और कहा...

बेटी तुमने कभी लोहे की दुकान के बाहर पड़े लोहे के गार्डर देखे हैं?
ये गार्डर सर्दी, गर्मी, बरसात, रात दिन इसी प्रकार पड़े रहते हैं।
इसके बावजूद इनका कुछ नहीं बिगड़ता और इनकी कीमत पर भी कोई अन्तर नहीं पड़ता।
लड़कों के लिए कुछ इसी प्रकार की सोच है समाज में।

अब तुम चलो एक ज्वेलरी शॉप में।
एक बड़ी तिजोरी, उसमें एक छोटी तिजोरी।
उसमें रखी छोटी सुन्दर सी डिब्बी में रेशम पर नज़ाकत से रखा चमचमाता हीरा।
क्योंकि जौहरी जानता है कि अगर हीरे में जरा भी खरोंच आ गई तो उसकी कोई कीमत नहीं रहेगी।

समाज में बेटियों की अहमियत भी कुछ इसी प्रकार की है।
पूरे घर को रोशन करती झिलमिलाते हीरे की तरह।
जरा सी खरोंच से उसके और उसके परिवार के पास कुछ नहीं बचता।
बस यही अन्तर है लड़कियों और लड़कों में।

पूरी सभा में चुप्पी छा गई।
उस बेटी के साथ पूरी सभा की आँखों में छाई नमी साफ-साफ बता रही थी लोहे और हीरे में फर्क।।।

प्लीज , आप से मेरा
हाथ जोडकर निवेदन हैं कि ये मैसेज अपनी बेटी-बहन को अवश्य पढायें और दोस्तों में , रिश्तेदारों के साथ, सभी ग्रुप्स में शेयर करें ।

Tuesday 4 April 2017

उपवास को बुन्देलखंडी version



पति-. का बात है आज अपने लाने रोटी नई बनायीं का..? जो रस अकेलो काये पी रईं.?

पत्नी, - आज हमाओ उपास है न..

 पति-तो कछु खाओ के उसई भूखी हो.. कछु खा लेतीं?

पत्नी- हओ तनक फलाहार कर लओ. .
  4-5 केला
   2 अनार
  3-4 सेवफल
    हलुआ , साबुदान की खिचड़ी, सिंगाड़ा की पूड़ी बस लओ है..

भुन्सारे 1 गिलास दूध और
 दो कप चाय पी लई हती..

अब जौ मुसंबी को रस पी रये..
  आज ऊपास है न, सो कछु और नईं खा सकत..

पति- तनक रबड़ी अबड़ी और ले लेतीं..

  पत्नी -हओ रात के ब्यारी के बाद रबड़ी खाबी .. खाना एकइ टेम खा सकत..

पति- भाई भोतइ कठिन उपास है तुमाओ..
कोउ को बाप नइँ कर सकत ऐसो कठिन उपास..

देखियो.. कमजोरी न आ जाये तुमें..

पत्नी-जई से तो बीच बीच में
 बदाम काजू फांक रये..

पति- फिर भी.. ख्याल रखियो अपनों.

Moral of the story -bDOCUMENTATION IS VERY IMPORTANT

Once a Project Manager was travelling by train from Mumbai to Bangalore!

When the train started, He was traveling alone in the AC-I coupe.

Some time later, a Beautiful lady came and sat in the opposite berth!


Manager was pleasantly Happy🙂



The lady kept smiling at him...
This made him even more Happier ☺☺


Then she went and sat next to him....
he was bubbling with Joy😊😍🤗



She then leant towards him and whispered in his ear...


"Hand over all your cash, cards and mobile phone to me , else I will shout loudly and tell everybody that you are  harassing and misbehaving with me"


Manager stared blankly at her 🙄


He took out a paper and a pen from his bag and wrote " I am sorry, I can not hear or speak... Please write on this paper whatever you want to say"


The lady wrote everything what she said earlier and gave it to him!

Manager took her note, kept it nicely in his pocket...
got up and told her in clear tones...
Now shout & scream !!




Moral of the story :

DOCUMENTATION IS VERY IMPORTANT

एक चूहा किसान के घर में बिल बना कर रहता था।

एक चूहा किसान के घर में बिल बना कर रहता था। एक दिन चूहे ने देखा कि किसान और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है।
उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक चूहेदानी थी। ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर कबूतर को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है।
कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या?  मुझे कौन सा उस में फसना है?
निराश चूहा यह बात मुर्गे को बताने गया तो मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा... जा भाई..ये मेरी समस्या नहीं है। हताश चूहे ने बाड़े में जा कर बकरे को यह बात बताई... और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा।
.
उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई जिस में एक ज़हरीला साँप फँस गया।
अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर किसान की पत्नी ने उस साँप को निकाला तो साँप ने उसे डंस लिया।
तबीयत बिगड़ने पर किसान ने वैद्य को बुलवाया। वैद्य ने उसे कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी।
कबूतर अब पतीले में उबल रहा था.

खबर सुनकर किसान के कुछ रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन
मुर्गे को काटा गया.
कुछ दिनों बाद किसान की पत्नी मर गयी... अंतिम संस्कार और मृत्यु भोज में बकरा परोसने के अलावा कोई चारा न था......
चूहा दूर जा चुका था...बहुत दूर ...........

अगली बार कोई आप को अपनी समस्या बताये और आप को लगे कि यह मेरी समस्या नहीं है तो रुकिए और फिर सोचिये.... हम सब खतरे में हैं...
समाज का एक अंग, एक तबका, एक नागरिक खतरे में है तो पूरा देश खतरे में है....
जाति पाति के दायरे से बाहर निकलिये।
स्वयं तक सीमित मत रहिये. .
सामाजिक बनिये...
और राष्ट्र धर्म के लिए एक बनें..

जय हिंद🙏🏻👍🏻

मेरे मन में सुदामा के सम्बन्ध में एक बड़ी शंका थी कि एक विद्वान् ब्राह्मण अपने बाल सखा कृष्ण से छुपाकर चने कैसे खा सकता है ???

मेरे मन में सुदामा के सम्बन्ध में एक बड़ी शंका थी कि एक विद्वान् ब्राह्मण अपने बाल सखा कृष्ण से छुपाकर चने कैसे खा सकता है ???

आज भागवत पर चर्चा करते हुए एक पंडित जी ने इस शंका का निराकरण किया। इस चर्चा को आपसे साझा करना जरुरी समझती हूँ ताकि आप भी समाज में फैली इस भ्रान्ति को दूर कर सकें।

सुदामा की दरिद्रता, और चने की चोरी के पीछे एक बहुत ही रोचक और त्याग-पूर्ण कथा है- एक अत्यंत गरीब निर्धन बुढ़िया भिक्षा माँग कर जीवन यापन करती थी। एक समय ऐसा आया कि पाँच दिन तक उसे भिक्षा नही मिली वह प्रति दिन पानी पीकर भगवान का नाम लेकर सो जाती थी।
छठवें दिन उसे भिक्षा में दो मुट्ठी चने मिले। कुटिया पे पहुँचते-पहुँचते उसे रात हो गयी। बुढ़िया ने सोंचा अब ये चने रात मे नही, प्रात:काल वासुदेव को भोग लगाकर खाऊँगी ।

यह सोंचकर उसने चनों को कपडे में बाँधकर रख दिए और वासुदेव का नाम जपते-जपते सो गयी। बुढ़िया के सोने के बाद कुछ चोर चोरी करने के लिए उसकी कुटिया मे आ गये।

चोरों ने चनों की पोटली देख कर समझा इसमे सोने के सिक्के हैं अतः उसे उठा लिया। चोरो की आहट सुनकर बुढ़िया जाग गयी और शोर मचाने लगी ।शोर-शराबा सुनकर गाँव के सारे लोग चोरों को पकडने के लिए दौडे। चने की पोटली लेकर भागे चोर पकडे जाने के डर से संदीपन मुनि के आश्रम में छिप गये। इसी संदीपन मुनि के आश्रम में भगवान श्री कृष्ण और सुदामा शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। चोरों की आहट सुनकर गुरुमाता को लगा की कोई आश्रम के अन्दर आया है
गुरुमाता ने पुकारा- कौन है ?? गुरुमाता को अपनी ओर आता देख चोर चने की पोटली छोड़कर वहां से भाग गये।

इधर भूख से व्याकुल बुढ़िया ने जब जाना ! कि उसकी चने की पोटली चोर उठा ले गए हैं तो उसने श्राप दे दिया- " मुझ दीनहीन असहाय के चने जो भी खायेगा वह दरिद्र हो जायेगा " ।

उधर प्रात:काल आश्रम में झाडू लगाते समय गुरुमाता को वही चने की पोटली मिली। गुरु माता ने पोटली खोल के देखी तो उसमे चने थे। उसी समय सुदामा जी और श्री कृष्ण जंगल से लकडी लाने जा रहे थे।
गुरुमाता ने वह चने की पोटली सुदामा को देते हुए कहा बेटा ! जब भूख लगे तो दोनो यह चने खा लेना ।

सुदामा जन्मजात ब्रह्मज्ञानी थे। उन्होंने ज्यों ही चने की पोटली हाथ मे ली, सारा रहस्य जान गए।

सुदामा ने सोचा- गुरुमाता ने कहा है यह चने दोनो लोग बराबर बाँट के खाना, लेकिन ये चने अगर मैने त्रिभुवनपति श्री कृष्ण को खिला दिये तो मेरे प्रभु के साथ साथ तीनो लोक दरिद्र हो जाएंगे। नही-नही मै ऐसा नही होने दूँगा।

मेरे जीवित रहते मेरे प्रभु दरिद्र हो जायें मै ऐसा कदापि नही करुँगा। मै ये चने स्वयं खा लूँगा लेकिन कृष्ण को नही खाने दूँगा और सुदामा ने कृष्ण से छुपाकर सारे चने खुद खा लिए।

अभिशापित चने खाकर सुदामा ने स्वयं दरिद्रता ओढ़ ली लेकिन अपने मित्र श्री कृष्ण को बचा लिया।

अद्वितीय त्याग का उदाहरण प्रस्तुत करने वाले सुदामा, चोरी-छुपे चने खाने का अपयश भी झेलें तो यह बहुत अन्याय है पर पूज्य पंडित जी ने आज मन की इस गहन शंका का निवारण कर मन को हल्का कर दिया।