Saturday 20 May 2017

एक भक्त था वह परमात्मा को बहुत मानता था,

एक भक्त था वह परमात्मा को बहुत मानता था,
बड़े प्रेम और भाव से उनकी सेवा
किया करता था ।

एक दिन भगवान से
कहने लगा –

मैं आपकी इतनी भक्ति करता हूँ पर आज तक मुझे आपकी अनुभूति नहीं हुई ।

मैं चाहता हूँ कि आप भले ही मुझे दर्शन ना दे पर ऐसा कुछ कीजिये की मुझे ये अनुभव हो की आप हो।

भगवान ने कहा ठीक है,
तुम रोज सुबह समुद्र के किनारे सैर पर जाते हो,
जब तुम रेत पर
चलोगे तो तुम्हे दो पैरो की जगह चार पैर दिखाई देंगे ।
दो तुम्हारे पैर होंगे और दो पैरो के निशान मेरे होंगे ।

इस तरह तुम्हे मेरी
अनुभूति होगी ।

अगले दिन वह सैर पर गया,
जब वह रेत पर चलने लगा तो उसे अपने पैरों के साथ-साथ दो पैर और भी दिखाई दिये वह बड़ा खुश हुआ ।

अब रोज ऐसा होने लगा ।

एक बार उसे व्यापार में घाटा हुआ सब कुछ चला गया,
वह रोड़ पर आ गया उसके अपनो ने उसका साथ छोड दिया ।

देखो यही इस दुनिया की प्रॉब्लम है, मुसीबत में सब साथ छोड़ देते है ।

अब वह सैर पर गया तो उसे चार पैरों की जगह दो पैर दिखाई दिये ।

उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि बुरे वक्त में भगवान ने भी साथ छोड दिया।

धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होने लगा फिर सब लोग उसके
पास वापस आने लगे ।

एक दिन जब वह सैर
पर गया तो उसने देखा कि चार पैर वापस दिखाई देने लगे ।

उससे अब रहा नही गया,
वह बोला-

भगवान जब मेरा बुरा वक्त था तो सब ने मेरा साथ छोड़ दिया था पर मुझे इस बात का गम नहीं था क्योकि इस दुनिया में ऐसा ही होता है,
पर आप ने भी उस समय मेरा साथ छोड़ दिया था,
ऐसा क्यों किया?

भगवान ने कहा –

तुमने ये कैसे सोच लिया कि मैं तुम्हारा साथ छोड़ दूँगा,
तुम्हारे बुरे वक्त में जो रेत पर तुमने दो पैर के निशान देखे वे तुम्हारे पैरों के नहीं मेरे पैरों के थे,

उस समय में तुम्हे अपनी गोद में उठाकर चलता था और आज जब तुम्हारा बुरा वक्त खत्म हो गया तो मैंने तुम्हे नीचे उतार दिया है ।

इसलिए तुम्हे फिर से चार पैर दिखाई दे रहे ।

So moral is never loose faith on God. U believe in him, he will look after u forever.

✔जब भी बड़ो के साथ बैठो तो परमात्मा का धन्यवाद , क्योंकि कुछ लोग इन लम्हों को तरसते हैं ।

✔जब भी अपने काम पर जाओ तो परमात्मा का धन्यवाद , क्योंकि बहुत से लोग बेरोजगार हैं ।

✔परमात्मा का धन्यवाद कहो जब तुम तन्दुरुस्त हो , क्योंकि बीमार किसी भी कीमत पर सेहत खरीदने की ख्वाहिश रखते हैं ।

✔ परमात्मा का धन्यवाद कहो की तुम जिन्दा हो , क्योंकि मरे हुए लोगों से पूछो जिंदगी कीमत ।

🌺🌼आज का सुविचार🌼🌺


 
  💐 पानी को कितना भी गर्म कर लें पर वह थोड़ी देर बाद अपने मूल स्वभाव में आकर शीतल हो जाता हैं।💐

  💐  इसी प्रकार हम कितने भी क्रोध में, भय में, अशांति में रह लें, थोड़ी देर बाद-बोध में, निर्भयता में और प्रसन्नता में हमें आना ही होगा क्योंकि यही हमारा मूल स्वभाव है कुछ बोलने और तोड़ने मेंकेवल एक पल लगता है*
          जबकि बनाने और मनाने मेंपूरा जीवन लग जाता है।*
                       प्रेम सदा
          माफ़ी माँगना पसंद करता है,
                 और अहंकार सदा
          माफ़ी सुनना पसंद करता है..?
                 
         🌺🙏शुभ प्रभात🙏🌺
🌺🌼🌺🍃🌺🌼🌺🌼🌺

भगवान को भेंट



पुरानी बात है, एक सेठ के पास एक व्यक्ति काम करता था । सेठ उस व्यक्ति पर बहुत विश्वास करता था जो
भी जरुरी काम हो वह सेठ
हमेशा उसी व्यक्ति से कहता था।
वो व्यक्ति भगवान का बहुत बड़ा भक्त था वह सदा भगवान के चिंतन भजन कीर्तन स्मरण सत्संग आदि का लाभ लेता रहता था ।
.
🔸 एक दिन उस वक्त ने सेठ से श्री जगन्नाथ धाम यात्रा करने के लिए कुछ दिन की छुट्टी
मांगी सेठ ने उसे छुट्टी देते हुए
कहा भाई मैं तो हूं संसारी आदमी
हमेशा व्यापार के काम में व्यस्त रहता हूं जिसके कारण
कभी तीर्थ गमन का लाभ
नहीं ले पाता ।
🔹 तुम जा ही रहे हो तो यह लो 100
रुपए मेरी ओर से श्री जगन्नाथ प्रभु के
चरणों में समर्पित कर देना । भक्त सेठ से सौ रुपए लेकर
श्री जगन्नाथ धाम यात्रा पर निकल गया .
🔸 कई दिन की पैदल यात्रा करने के बाद वह
श्री जगन्नाथ पुरी पहुंचा ।
मंदिर की ओर प्रस्थान करते समय उसने रास्ते में देखा
कि बहुत सारे संत , भक्त जन, वैष्णव जन, हरि नाम
संकीर्तन बड़ी मस्ती में कर
रहे हैं ।
🔹 सभी की आंखों से अश्रु धारा बह
रही है । जोर-जोर से हरि बोल, हरि बोल
गूंज रहा है । संकीर्तन में बहुत आनंद आ
रहा था । भक्त भी वहीं रुक कर
हरिनाम संकीर्तन का आनंद लेने लगा ।
.
🔸 फिर उसने देखा कि संकीर्तन करने वाले भक्तजन
इतनी देर से संकीर्तन करने के कारण
उनके होंठ सूखे हुए हैं वह दिखने में कुछ भूखे
भी प्रतीत हो रहे हैं उसने सोचा
क्यों ना सेठ के सौ रुपए से इन भक्तों को भोजन करा दूँ।
.
🔹 उसने उन सभी को उन सौ रुपए में से भोजन
की व्यवस्था कर दी। सबको भोजन कराने में
उसे कुल 98 रुपए खर्च करने पड़े ।
.
🔸 उसके पास दो रुपए बच गए उसने सोचा चलो अच्छा हुआ दो
रुपए जगन्नाथ जी के चरणों में सेठ के नाम से चढ़ा दूंगा
। जब सेठ पूछेगा तो मैं कहूंगा वह पैसे चढ़ा दिए । सेठ
यह तौ नहीं कहेगा 100 रुपए चढ़ाए । सेठ
पूछेगा पैसे चढ़ा दीजिए। मैं बोल दूंगा कि , पैसे चढ़ा दिए ।
झूठ भी नहीं होगा और काम
भी हो जाएगा ।
.
🔹 वह भक्त श्री जगन्नाथ जी के
दर्शनों के लिए मंदिर में प्रवेश किया श्री जगन्नाथ
जी की छवि को निहारते हुए हुए
अपने हृदय में उनको विराजमान कराया ।अंत में उसने सेठ के दो
रुपए श्री जगन्नाथ जी के चरणो में चढ़ा
दिए ।और बोला यह दो रुपए सेठ ने भेजे हैं ।
.
🔸 उसी रात सेठ के पास स्वप्न में श्री
जगन्नाथ जी आए आशीर्वाद दिया और बोले
सेठ तुम्हारे 98 रुपए मुझे मिल गए हैं यह कहकर
श्री जगन्नाथ जी अंतर्ध्यान हो गए ।
.
🔹 सेठ जाग गया व सोचने लगा मेरा नौकर तौ बड़ा ईमानदार है ,पर
अचानक उसे क्या जरुरत पड़ गई थी उसने दो रुपए
भगवान को कम चढ़ाए? उसने दो रुपए का क्या खा लिया ? उसे
ऐसी क्या जरूरत पड़ी ? ऐसा विचार सेठ
करता रहा ।
.
🔸 काफी दिन बीतने के बाद भक्त वापस
आया और सेठ के पास पहुंचा। सेठ ने कहा कि मेरे पैसे
जगन्नाथ जी को चढ़ा दिए थै ? भक्त बोला हां मैंने
पैसे चढ़ा दिए ।
.
🔹 सेठ ने कहा पर तुमने 98 रुपए क्यों चढ़ाए दो रुपए किस काम
में प्रयोग किए । तब भक्त ने सारी बात बताई
की उसने 98 रुपए से संतो को भोजन करा दिया था । और
ठाकुर जी को सिर्फ दो रुपए चढ़ाये थे ।
.
🔸 सेठ सारी बात समझ गया व बड़ा खुश हुआ तथा
भक्त के चरणों में गिर पड़ा और बोला आप धन्य हो
आपकी वजह से मुझे श्री जगन्नाथ
जी के दर्शन यहीं बैठे-बैठे हो
गए

सन्तमत विचार-भगवान को आपके धन की कोई
आवश्यकता नहीं है । भगवान को वह 98
रुपए स्वीकार है जो जीव मात्र
की सेवा में खर्च किए गए और उस दो रुपए का कोई
महत्व नहीं जो उनके चरणों में नगद चढ़ाए गए

श्री राधे राधे ।
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴
            ||~जय श्री राधे~||

Monday 8 May 2017

ENJOY REAL STORY OF 84 BIRTHS



ये कहानी है चौरासी जन्मों की - ८४ लाख जन्मों की नहीं


दुनिया मानती है की मनुष्य आत्माओं को ८४ लाख जन्मों ( योनियों )में भटकना पड़ता है।

शायद ८४ लाख योनियां हैं ही नहीं।  ऐसा कोई भी नहीं जो  मात्र एक लाख योनियों का ही लेखा जोखा भी प्रस्तुत कर पाए।

और इन बातों से कौन डरता है ? क्या इनके डर से समाज  में सुधार आया है ?

क्या पाप कर्मों और दुष्कर्मों में कोई कमी आयी है ?

बिलकुल नहीं आयी है।  हमारा समाज आज रौरव नरक के रूप में जाना जाता है।

सच्चाई तो यह है की मनुष्य की आत्मा हर बार मनुष्य का ही जन्म लेती है और कभी भी जानवर -कीट -पतंगा आदि नहीं बनती।

पुनर्जन्म की सारी बातें इस बात की सत्यता साबित करती हैं की जो गत जीवन में रमेश या महेश था वही इस जीवन में गोपी या मधुसूदन बना है।  यानी की जो पहले मनुष्य था - वह अभी भी मनुष्य ही है।

उसमे से कोई भी अभी जानवर नहीं बना है।

इस प्रकार ८४ लाख योनियों में भटकने की बात गलत साबित हो गयी है।

आज से नहीं - हज़ारों वर्षों से लोग ऐसा मान रहे हैं की आत्माएं ८४ लाख योनियों में भटकती हैं।

जरा विचार करिये - क्या कभी आम के बीज से नीम का पौधा जन्मा है ?

कभी नहीं।

आत्मा भी बीज है जो मनुष्य का शरीर ही धारण करती है।

इस सत्य को समझ लेना चाहिए और कुत्ता या गधा बनूंगा - इस भय से मुक्त हो जाना चाहिए।

दरअसल - मानव जब हर जन्म में मानव बनेगा तभी वो अपना उत्थान करने के बारे में बिचार करेगा।

गधा बन कर वह अपनी भलाई के बारे में कैसे सोचेगा ?

मान लेते हैं कि वह अपने कुकर्मों के कारण गधा बना - मगर अब प्रायश्चित का मौका तो गया ?

 बदले में अगर वह मानव ही बने और उसे कुली का काम करने की मजबूरी हो तो क्या यह  गधे जैसा जन्म नही हुआ ?

इसमें बढ़िया बात यह है की अब वह कुली रहते रहते विचार कर सकेगा की उसे कुली का कार्य क्यों करना पड़  रहा है !!

शायद वह कुछ ऐसा कर ले की आने वाले जन्मों में वह आई ए एस  IAS बन जाए ??

या उससे भी कुछ बेहतर ??

लकीर का फ़क़ीर बने रहने से अच्छा है की हम सत्य को समझे और उसपर चलें।  

Sunday 7 May 2017

पापा देखो मेंहदी वाली


   💚 ••••••••••••••••••💙

मुझे मेंहदी लगवानी है

"पाँच साल की बेटी बाज़ार में
बैठी मेंहदी वाली को देखते ही
मचल गयी...👈

" कैसे लगाती हो मेंहदी "
पापा नें सवाल किया...🤗

" एक हाथ के पचास दो के सौ ...?
मेंहदी वाली ने जवाब दिया......😕😕

पापा को मालूम नहीं था मेंहदी
लगवाना इतना मँहगा हो गया है.....👈👈

"नहीं भई एक हाथ के बीस लो
वरना हमें नहीं लगवानी."

यह सुनकर बेटी नें मुँह फुला लिया....😟😞😞

"अरे अब चलो भी ,
नहीं लगवानी इतनी मँहगी मेंहदी"

पापा के माथे पर लकीरें उभर आयीं ....😐😐

"अरे लगवाने दो ना साहब..😍

अभी आपके घर में है तो
आपसे लाड़ भी कर सकती है...😍😍😍

कल को पराये घर चली गयी तो
पता नहीं ऐसे मचल पायेगी या नहीं. ...😂

तब आप भी तरसोगे बिटिया की
फरमाइश पूरी करने को...😨😨

मेंहदी वाली के शब्द थे तो चुभने
वाले पर उन्हें सुनकर पापा को
अपनी बड़ी बेटी की याद आ गयी....😨😓😓

जिसकी शादी उसने तीन साल पहले
एक खाते -पीते पढ़े लिखे परिवार में की थी......👍

उन्होंने पहले साल से ही उसे छोटी
छोटी बातों पर सताना शुरू कर दिया था.....😨😨

दो साल तक वह मुट्ठी भरभर के
रुपये उनके मुँह में ठूँसता रहा पर
उनका पेट बढ़ता ही चला गया ....😥😥

और अंत में एक दिन सीढियों से
गिर कर बेटी की मौत की खबर
ही मायके पहुँची....😭😭😭

आज वह छटपटाता है
कि उसकी वह बेटी फिर से
उसके पास लौट आये..?
और वह चुन चुन कर उसकी
सारी अधूरी इच्छाएँ पूरी कर दे...😧😧😧

पर वह अच्छी तरह जानता है
कि अब यह असंभव है.

" लगा दूँ बाबूजी...?,
एक हाथ में ही सही "

मेंहदी वाली की आवाज से
पापा की तंद्रा टूटी...😍😍

"हाँ हाँ लगा दो.
एक हाथ में नहीं दोनों हाथों में. ....😇😇

और हाँ, इससे भी अच्छी वाली हो
तो वो लगाना.....😘😍

पापा ने डबडबायी आँखें
पोंछते हुए कहा
और बिटिया को आगे कर दिया......😭😢😢

जब तक बेटी हमारे घर है
उनकी हर इच्छा जरूर पूरी करे,...👏👏

क्या पता आगे कोई इच्छा
पूरी हो पाये या ना हो पाये ।

ये बेटियां भी कितनी अजीब होती हैं
जब ससुराल में होती हैं
तब माइके जाने को तरसती हैं....😰😨😱

सोचती हैं
कि घर जाकर माँ को ये बताऊँगी
पापा से ये मांगूंगी
बहिन से ये कहूँगी
भाई को सबक सिखाऊंगी
और मौज मस्ती करुँगी...😀😂😨😨

लेकिन😨

जब सच में मायके जाती हैं तो
एकदम शांत हो जाती है
किसी से कुछ भी नहीं बोलती....😢😢

बस माँ बाप भाई बहन से गले मिलती है।
बहुत बहुत खुश होती है।
भूल जाती है
कुछ पल के लिए पति ससुराल.....🤗👌👆👆

क्योंकि
एक अनोखा प्यार होता है मायके में
एक अजीब कशिश होती है मायके में.....
ससुराल में कितना भी प्यार मिले.....😇😇😍

माँ बाप की एक मुस्कान को
तरसती है ये बेटियां....😨😨

ससुराल में कितना भी रोएँ
पर मायके में एक भी आंसूं नहीं
बहाती ये बेटियां....😘😘

क्योंकि
बेटियों का सिर्फ एक ही आंसू माँ
बाप भाई बहन को हिला देता है
रुला देता है.....😰😨😨😨

कितनी अजीब है ये बेटियां
कितनी नटखट है ये बेटियां
भगवान की अनमोल देंन हैं
ये बेटियां ......🙏👌👈

हो सके तो
बेटियों को बहुत प्यार दें
उन्हें कभी भी न रुलाये
क्योंकि ये अनमोल बेटी दो
परिवार जोड़ती है
दो रिश्तों को साथ लाती है।
अपने प्यार और मुस्कान से।

हम चाहते हैं कि
सभी बेटियां खुश रहें
हमेशा भले ही हो वो
मायके में या ससुराल में।

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खुशकिस्मत है वो जो बेटी के बाप हैं, उन्हें भरपूर प्यार दे, दुलार करें और यही व्यवहार अपनी पत्नी के साथ भी करें क्यों की वो भी किसी की बेटी है और अपने पिता की छोड़ कर आपके साथ पूरी ज़िन्दगी बीताने आयी है।  उसके पिता की सारी उम्मीदें सिर्फ और सिर्फ आप से हैं।

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ये पोस्ट समर्पित है हर नारी को।