तुम्हें हर बार
सिर्फ जीत चाहिए
हार ..
कभी नहीं स्वीकार !
जीत वो है
जिसे सब चाहते हैं
हार बेकार सी है
गाली है दुत्कार सी है
जीत की छोड़ी हुई
बची हुई
निकृष्ट - घिनोनी
गंदगी सी - बेचारी हार !
रोती है तड़पती है हर बार !!
ओ जीत के सिंहासन पर
विराजमान
जरा देर में जीत
हाथ से छूटेगी
और हार गले आ पड़ेगी
हा हा हा हा
तेरी ही तरह
तुझपर भी हंसेगा
जीतने वाला कोई !!
हा हा हा हा !!!
सिर्फ जीत चाहिए
हार ..
कभी नहीं स्वीकार !
जीत वो है
जिसे सब चाहते हैं
हार बेकार सी है
गाली है दुत्कार सी है
जीत की छोड़ी हुई
बची हुई
निकृष्ट - घिनोनी
गंदगी सी - बेचारी हार !
रोती है तड़पती है हर बार !!
ओ जीत के सिंहासन पर
विराजमान
जरा देर में जीत
हाथ से छूटेगी
और हार गले आ पड़ेगी
हा हा हा हा
तेरी ही तरह
तुझपर भी हंसेगा
जीतने वाला कोई !!
हा हा हा हा !!!
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