Sunday, 13 July 2014

एक घर के सामने सडक

एक घर के सामने सडक बन रही थी, गरीब मजदूरिन वहाँ काम कर रही थी. मजदूरिन के घर का सारा बोझ उसी पर पडा था, उसका नन्हा सा बच्चा साथ ही खडा था. उसके घर के सारे बर्तन सूखे थे, दो दिन से उसके बच्चे भूखे थे. बच्चे की निगाह सामने के बँगले पर पडी, देखी, घर की मालकिन, हाथ मे रोटी लिये खडी. बच्चे ने कातर दृष्टि मालकिन की तरफ डाली, लेकिन मालकिन ने रोटी, पालतू कुत्ते की तरफ उछाली. कुत्ते ने सूँघकर रोटी वहीं छोड दी, और अपनी गर्दन दूसरी तरफ मोड दी! कुत्ते का ध्यान, नही रोटी की तरफ जरा था, शायद उसका पेट पूरा भरा था! ये देख कर बच्चा गया माँ के पास, भूखे मन मे रोटी की लिये आस. बोला- माँ! क्या रोटी मै उठा लूँ? तू जो कहे तो वो मै खा लूँ? माँ ने पहले तो बच्चे को मना किया, बाद मे मन मे ये खयाल किया कि- कुत्ता अगर भौंका तो मालिक उसे दूसरी रोटी दे देगा, मगर मेरा बच्चा रोया तो उसकी कौन सुनेगा? माँ के मन मे खूब हुई कशमकश, लेकिन बच्चे की भूख के आगे वो थी बेबस. माँ ने जैसे ही हाँ मे सिर हिलाया, बच्चे ने दरवाजे की जाली मे हाथ घुसाया. बच्चे ने डर से अपनी आँखों को भींचा, और धीरे से रोटी को अपनी तरफ खींचा! कुत्ता ये देखकर बिल्कुल नही चौंका! चुपचाप देखता रहा! जरा भी नही भौंका!! कुछ मनुष्यों ने तो बेची सारी अपनी हया है, लेकिन कुत्ते के मन मे अब भी शेष दया है…….!!!!!

No comments:

Post a Comment