Friday, 18 July 2014

ना जाने कौनसी "मुलाक़ात" आख़री होगी.

एक था भगवान, एक था शैतान..... दोनों में जब झगड़ा हुआ तो, बहुत हुआ नुकसान.... दोनों ने मिलकर, निकाला समस्या का समाधान.... एक खिलौना बनाया, और उसका नाम रखा इंसान.... शैतान ने अपनी ताकते दी, क्रोध,धंमड और जलन..... भगवान ने अपने अंश दिये, प्यार,दया और सम्मान... भगवान से मुस्कराकर बोला शैतान, न तेरा नुकसान,न मेरा नुकसान...... तू जीते या मैं जीतू, हारेगा इंसान ..... . और इसलिए कहते है... कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो, कोई रुठे तो उसे मनाना सीखो ... रिश्ते तो मिलते है मुकद्दर से, बस उन्हे खूबसूरती से निभाना सीखों। जन्म लिया है तो सिर्फ साँसे मत लीजिये, जीने का शौक भी रखिये.. शमशान ऐसे लोगो की राख से... भरा पड़ा है जो समझते थे,,, दुनिया उनके बिना चल नहीं सकती. हाथ में टच फ़ोन, बस स्टेटस के लिये अच्छा है… सबके टच में रहो, जींदगी के लिये ज्यादा अच्छा है… ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात "आख़री" होगी, ना ज़ाने कौनसी रात "आख़री" होगी । मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक दूसरे से, ना जाने कौनसी "मुलाक़ात" आख़री होगी.

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