रौनक लौटा दे माँ
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हे अष्टरूपी माँ तू ही जाने,
तेरे किये को हम कैसे पहचाने।
कल तेरे पावन नवरात्रे होंगे,
पर दर तेरे सब वीराने होंगे।।
अब ये क्या खेल तूने खेला है,
क्या भेद हम सब से छिपाया है,
क्या कोई नया रहस्य दिखाने को,
ये सारा प्रपंच रचाया है।।
तू चाहे तो इक पल में सारी,
पीड़ा जगत की हर सकती है।
सैंकड़ो वर्षों से जो बंजर होगा,
खेत वो अन धन से भर सकती हो।।
आज भक्त तेरे सब मजबूर हुए,
दीदार तेरे को आँखे तरस रही।
तेरे सूने दर को देख देख माँ,
आसमान की आंखे भी बरस रही।।
तेरे एक प्रहार से माँ,
सब दानव दल भी हारा है।
फिर इस कोरोना की क्या हिम्मत है,
जिसने संसार नचाया सारा है।।
तेरे दर की रौनक बनी रहे,
ये इंतजाम भी तेरे हाथ है माँ।
अपने सब बन्दों के सिर हाथ धरो माँ,
तेरे होते न हो कोई अनाथ हे माँ।।
अपनी कृपा की झोली से,
इक बून्द कृपा की बरसा देना।
मायूस हुए इस बेबस जगत को,
जीवन दान दे हर्षा देना।।
माता ,कुमाता नही हो सकती,
सन्तान भले कुमार्गी बन जाये।
लाख अवगुण भले हैं हम में,
पर तेरे होते कैसे अधर्मी बन जाये।।
कुछ ऐसा चमत्कार कर दे हे माँ,
दर तेरा भक्तों से हरा भरा हो जाये
जनमानस की सब पीड़ा हर दे,
भवन भक्तों से भरा भरा हो जाये।।
तू सर्वशक्तिमान कहलाती है,
तुझ से मांगे सब मिल सकता है।
तू जगपालक तू जग हर्ता है,
तू चाहे तो हर कमल खिल सकता है।।
जय माता दी🙏🏻
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हे अष्टरूपी माँ तू ही जाने,
तेरे किये को हम कैसे पहचाने।
कल तेरे पावन नवरात्रे होंगे,
पर दर तेरे सब वीराने होंगे।।
अब ये क्या खेल तूने खेला है,
क्या भेद हम सब से छिपाया है,
क्या कोई नया रहस्य दिखाने को,
ये सारा प्रपंच रचाया है।।
तू चाहे तो इक पल में सारी,
पीड़ा जगत की हर सकती है।
सैंकड़ो वर्षों से जो बंजर होगा,
खेत वो अन धन से भर सकती हो।।
आज भक्त तेरे सब मजबूर हुए,
दीदार तेरे को आँखे तरस रही।
तेरे सूने दर को देख देख माँ,
आसमान की आंखे भी बरस रही।।
तेरे एक प्रहार से माँ,
सब दानव दल भी हारा है।
फिर इस कोरोना की क्या हिम्मत है,
जिसने संसार नचाया सारा है।।
तेरे दर की रौनक बनी रहे,
ये इंतजाम भी तेरे हाथ है माँ।
अपने सब बन्दों के सिर हाथ धरो माँ,
तेरे होते न हो कोई अनाथ हे माँ।।
अपनी कृपा की झोली से,
इक बून्द कृपा की बरसा देना।
मायूस हुए इस बेबस जगत को,
जीवन दान दे हर्षा देना।।
माता ,कुमाता नही हो सकती,
सन्तान भले कुमार्गी बन जाये।
लाख अवगुण भले हैं हम में,
पर तेरे होते कैसे अधर्मी बन जाये।।
कुछ ऐसा चमत्कार कर दे हे माँ,
दर तेरा भक्तों से हरा भरा हो जाये
जनमानस की सब पीड़ा हर दे,
भवन भक्तों से भरा भरा हो जाये।।
तू सर्वशक्तिमान कहलाती है,
तुझ से मांगे सब मिल सकता है।
तू जगपालक तू जग हर्ता है,
तू चाहे तो हर कमल खिल सकता है।।
जय माता दी🙏🏻
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