जब वसंत_ऋतु की उपस्थिति में हमारे_परिसर के पौधों , लताओं , वनस्पतियों, औषधियों और वृक्षों के परिवर्तन ने स्वयं दी मुझे नवसंवत्सरकीशुभकामनाएं
सोचा उसी का संदेश आप तक पहुँचा दूँ
वसंतनेकहा कि नववर्ष के उपलक्ष्य में प्रकृति ने अपनी पुरानी अयोग्य टहनियों , फूल पत्तियों का त्याग कर दिया और यौवन को धारण किया है नूतन पुष्पों का प्रादुर्भाव हो रहा है जिससे समग्र पृथ्वी सुगंधित हो रही है नये फलों से पक्षियों को जीने का एक सहारा मिला है आम के वृक्ष में नई अमियाँ आई है नई फसलों का आगमन हो रहा है नक्षत्र भी परिवर्तित हो गये हैं मौसम भी बदल गया है , पंछियों की चहचहाहट में एक नया संगीत है एक नया आनंद है मयूर भी आह्लादित होकर अपनी पुरानी पंखों को त्याग कर नवीन रंगीन विविध रंगों से चित्रित विचित्र पंखों के स्वागत में भाव विभोर होकर अद्भुत् नृत्य कर रहा है कोयल की मीठी तान भँवरे की मनभावन गुँजन आम की खटाश और चीकू की बदलती मिठास तो कह रही है कि आप भी मेरी भांति जीवन में मिठास का अधिगम कर परिवर्तित होने का संकल्प लें ,,,,
मेरा स्वागत अंग्रजी तथाकथित नववर्ष की भांति मध्य रात्रि में पिशाचवत् मदिरा पीकर अय्याशी करके नहीं किया जाता
मेरा स्वागत तो वेदकीपावन_ऋचाओं के साथ प्रचण्ड अग्नि में सर्वश्रेष्ठ द्रव्यों की आहुति प्रदान कर परमात्मा को समर्पित होकर ह्रदय की अंतरिम गहराइयों से किया जाता है यह मेरी महानता का परिचायक है
कहीं ऐसा न हो कि जैसे-
१जनवरीकोमात्रकलैन्डरबदलताहैप्रकृति_नहीं और आप भी नहीं,,,,,,,
इसलिये आप भी नववर्ष के इस पावन अवसर पर अपने पुराने दुर्गणों काम , मत्सर , स्पृहा , तृष्णा , लोभ , क्रोध, ईर्ष्या , असूया , द्रोह , अमर्ष , विचिकित्सा , मान , प्रमाद , हिंसा , स्तेय , अनृत , परूष , परद्रोह , परद्रव्य अभीप्सा आदि को त्याग कर नये सद्गुणों सत्य , दया , अस्पृहा , श्रद्धा , नम्रता , संतोष आदि को धारण करके अपने जीवन में भी एक नया वसंत लायें नववर्ष की भांति आपका जीवन भी नया हो जिससे आपके ज्ञान की गंध से आपके जीवन के साथ साथ यह संसार भी मँहक उठे
वसंतकाआध्यात्मिक_संदेश :-
कि जब प्रकृति में बुद्धि की अति न्यूनता होने पर भी उन्हें अपने फूल पत्तियों के परिवार को छोडने में कोई दुःख का लेशमात्र भी नहीं तो फिर आप मनुष्यों में बुद्धि की तीव्रता होते हुए भी अपने परिवार या अपने जीर्ण शीर्ण शरीर को छोडने में इतना दुःख क्यों ? जबकि आपका स्वयं का अनुभूत विषय है कि पुरातन के नष्ट होने पर ही नूतन का सृजन होता है नये के लिये सदैव पुराने को मिटना पडता है यह अटल सिद्धांत है !
नवसंवत्सर२०७६मेंआपसभीआर्यजनोंकास्वागत_है
सोचा उसी का संदेश आप तक पहुँचा दूँ
वसंतनेकहा कि नववर्ष के उपलक्ष्य में प्रकृति ने अपनी पुरानी अयोग्य टहनियों , फूल पत्तियों का त्याग कर दिया और यौवन को धारण किया है नूतन पुष्पों का प्रादुर्भाव हो रहा है जिससे समग्र पृथ्वी सुगंधित हो रही है नये फलों से पक्षियों को जीने का एक सहारा मिला है आम के वृक्ष में नई अमियाँ आई है नई फसलों का आगमन हो रहा है नक्षत्र भी परिवर्तित हो गये हैं मौसम भी बदल गया है , पंछियों की चहचहाहट में एक नया संगीत है एक नया आनंद है मयूर भी आह्लादित होकर अपनी पुरानी पंखों को त्याग कर नवीन रंगीन विविध रंगों से चित्रित विचित्र पंखों के स्वागत में भाव विभोर होकर अद्भुत् नृत्य कर रहा है कोयल की मीठी तान भँवरे की मनभावन गुँजन आम की खटाश और चीकू की बदलती मिठास तो कह रही है कि आप भी मेरी भांति जीवन में मिठास का अधिगम कर परिवर्तित होने का संकल्प लें ,,,,
मेरा स्वागत अंग्रजी तथाकथित नववर्ष की भांति मध्य रात्रि में पिशाचवत् मदिरा पीकर अय्याशी करके नहीं किया जाता
मेरा स्वागत तो वेदकीपावन_ऋचाओं के साथ प्रचण्ड अग्नि में सर्वश्रेष्ठ द्रव्यों की आहुति प्रदान कर परमात्मा को समर्पित होकर ह्रदय की अंतरिम गहराइयों से किया जाता है यह मेरी महानता का परिचायक है
कहीं ऐसा न हो कि जैसे-
१जनवरीकोमात्रकलैन्डरबदलताहैप्रकृति_नहीं और आप भी नहीं,,,,,,,
इसलिये आप भी नववर्ष के इस पावन अवसर पर अपने पुराने दुर्गणों काम , मत्सर , स्पृहा , तृष्णा , लोभ , क्रोध, ईर्ष्या , असूया , द्रोह , अमर्ष , विचिकित्सा , मान , प्रमाद , हिंसा , स्तेय , अनृत , परूष , परद्रोह , परद्रव्य अभीप्सा आदि को त्याग कर नये सद्गुणों सत्य , दया , अस्पृहा , श्रद्धा , नम्रता , संतोष आदि को धारण करके अपने जीवन में भी एक नया वसंत लायें नववर्ष की भांति आपका जीवन भी नया हो जिससे आपके ज्ञान की गंध से आपके जीवन के साथ साथ यह संसार भी मँहक उठे
वसंतकाआध्यात्मिक_संदेश :-
कि जब प्रकृति में बुद्धि की अति न्यूनता होने पर भी उन्हें अपने फूल पत्तियों के परिवार को छोडने में कोई दुःख का लेशमात्र भी नहीं तो फिर आप मनुष्यों में बुद्धि की तीव्रता होते हुए भी अपने परिवार या अपने जीर्ण शीर्ण शरीर को छोडने में इतना दुःख क्यों ? जबकि आपका स्वयं का अनुभूत विषय है कि पुरातन के नष्ट होने पर ही नूतन का सृजन होता है नये के लिये सदैव पुराने को मिटना पडता है यह अटल सिद्धांत है !
नवसंवत्सर२०७६मेंआपसभीआर्यजनोंकास्वागत_है
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