Sunday, 22 June 2014

बात जो दिल को छू जाये....क्या बात..

बात जो दिल को छू जाये....क्या बात.. वो सब जो कविता लिखना चाहते थे आजकल नौकरियाँ कर रहे हैं वो सब जो दुनिया को घूम कर देखना चाहते थे आजकल अपनी बिविओं के लिए सब्जी खरीद रहे हैं वो सब जिनको लगता था दुनिया बदलनी है आजकल अखबार पढ़ रहे हैं वो जो अपने मोहल्ले में गुंडे हुआ करते थे आजकल किराने का और होटलों का व्यवसाय कर रहे हैं वो जिनके बारे में कहा जाता था ये कुछ नहीं कर सकते वो आजकल दूसरों को नौकरियाँ दे रहे हैं वो जिनसे उम्मीद थी ये कुछ नया करेंगे आजकल उनमे से आधे सन्यासी हो गए हैं और आधे खुद की नज़रों में पुराने हो गए हैं चाय की गुमटियों में जवानी बिताने वाले पान के ठेलो पर पाए जाने वाले मुझे अपना आदर्श मानने लगे हैं और मैं ? मैं आजकल आईना हो गया हूँ जो मुझमे खुद को जैसा देखना चाहता है देख लेता है मैं कुछ नहीं कहता ..

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