भागी हुई लड़कियों की माँये
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भागी हुई लड़कियों की माँये
काँच की टूटी चूडियों सी
टूटकर बिखरी होती हैं
घुटकर मरे सपनों की अर्थी
जीवन भर ढोती रहती हैं
रात के सन्नाटे में
दौड़ती - भागती
नन्ही बेटी के साये से खेल
खुश होने के बहाने तलाशती हैं
भागी हुई लड़कियों की माँये
पड़ोसियों के तानों के बीच
एक लौह - स्तंभ सी खड़ी
जीवन को समेट जीती हैं
भागी हुई लड़कियों की माँओं का
स्नेह सारी सीमाओं को तोड़कर बहता है
रात के अंधेरे में वे चुपचाप
नाराजगी अपनी बंद कर एक बक्से में
किसी अनजानी जगह पर
संदेशा भेज
जाती हैं मिलने अपनी भागी हुई बेटी से
गले ल्गा आँसुओं से उसके
सारे पाप धो डालती हैं
भागी हुई लड़कियों की माँये
अपने स्वाभिमान को ताक पर रख
समाज की रस्मों से आँखें मिला
जीने का ढोंग करती
हैं
भागी हुई लड़कियों की माँये
बस माँये ही होती हैं
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