नींद और मौत में क्या फर्क है...?
किसी ने क्या खूबसूरत जवाब दिया है..
"नींद आधी मौत है"
और "
मौत मुकम्मल नींद है"
जिंदगी तो अपने ही तरीके से चलती है....
औरों के सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं।
सुबहे होती है , शाम होती है
उम्र यू ही तमाम होती है ।
कोई रो कर दिल बहलाता है
और
कोई हँस कर दर्द छुपाता है.
क्या करामात है कुदरत की,
ज़िंदा इंसान पानी में डूब जाता है
और
मुर्दा तैर के दिखाता है...
बस के कंडक्टर सी हो गयी है जिंदगी ।
सफ़र भी रोज़ का है और जाना भी कही नहीं।...
No comments:
Post a Comment