Monday, 2 June 2014

किसी को तकलीफ देना

किसी को तकलीफ देना मेरी आदत नही, बिन बुलाया मेहमान बनना मेरी आदत नही...! मैं अपने गम में रहता हूँ नबाबों की तरह, औरो की खुशी देखकर जलना मेरी आदत नही...! सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मै, किसी को धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नही...! बांटना चाहता हूँ तो बस प्यार और मोहब्बत, यूँ नफरत फैलाना मेरी आदत नही...! ज़िदगी मिट जाये किसी की खातिर गम नही, कोई बद्दुआ दे मरने की यूँ जीना मेरी आदत नही...! सबसे दोस्त की हैसियत से बोल लेता हूँ, किसी का दिल दुखा दूँ मेरी आदत नही...! दोस्ती होती है दिलों के चाहने पर, जबरदस्ती दोस्ती करना मेरी आदत नही..!

No comments:

Post a Comment