Friday 20 January 2017

आज मुलाकात हुई जाती हुई उम्र से

आज मुलाकात हुई
जाती हुई उम्र से

मैने कहा जरा ठहरो तो
वह हंसकर इठलाते हुए बोली
मैं उम्र हूँ ठहरती नहीं
पाना चाहते हो मुझको
तो मेरे हर कदम के संग चलो

मैंने मुस्कराते हुए कहा
कैसे चलूं मैं बनकर तेरा हमकदम
संग तेरे चलने पर छोड़ना होगा
मुझको मेरा बचपन
मेरी नादानी, मेरा लड़कपन
तू ही बता दे कैसे समझदारी की
दुनियां अपना लूँ
जहाँ हैं नफरतें, दूरियां,
शिकायतें और अकेलापन

उम्र ने कहा
मैं तो दुनियां ए चमन में
बस एक “मुसाफिर” हूँ
गुजरते वक्त के साथ
इक दिन यूं ही गुजर जाऊँगी
करके कुछ आँखों को नम
कुछ दिलों में यादें बन बस जाऊँगी

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