Thursday, 1 December 2016

अमीर डर रहा हैं, गरीब मर रहा हैं...

                        अमीर डर रहा हैं, गरीब मर रहा हैं...
क्या सच मे मेरा देश बदल रहा हैं...??

सोना उबल  रहा हैं,
पैसा गल रहा हैं..
मेरा देश बदल रहा हैं....???

ईलाज करा नहीं सकते...
रोटी खा नही सकते...
गरीब तड़फ रहा हैं...
अमीर शिशक रहा हैं...
सच में मेरा देश बदल रहा हैं...???

S.S.

ना कोई मजहब,
ना कोई भगवान,
एक ही लाइन मे खड़े हैं हिंदु और मुसलमान,
हां मेरा देश बदल रहा हैं....????

ना सड़को पे जाम,
ना बाजारों मे कोई काम,
हर कोई केवल नोट बदल रहा है....
क्या सच मे मेरा देश बदल रहा है...????

व्यापार का हो रहा है बुरा हाल,
लघु उद्योग हो रहे बेहाल,,,
नौकरिया छूटने से हो रहा खड़ा आजीविका का सवाल...
कोरपोरेट हो रहा मालामाल....
क्या सच मे मेरा देश बदल रहा हैं....??

किसानों की फसल खड़ी तैयार,
मंडियो से खरीददार है फरार....
किससे करे वो आज फरियाद,..
ना कोई उसकी तकलीफ सुनने को तैयार....
क्या सच मैं मेरा देश बदल रहा हैं....??

दिहाड़ी मजदूर हैं भूखा मर रहा...
कोई नही उनको काम मिल रहा...
घर मे नही है उनके चूल्हा जल रहा...
क्योंकि काम काज हैं ठप पड़ रहा...
लोगों से सहायता का वो मोहताज हो रहा....
अपना स्वाभिमान हैं वो खो रहा.....
क्या सच मे मेरा देश बदल रहा हैं...??


आम आदमी है लाइन में खड़ा....
ना कोई लाइन मे नेता है खड़ा...
ना कोई अंबानी,अडानी खड़ा...
ना कोई अफसर,या ब्यूरोकेट खड़ा...
क्या कालाधन सिर्फ आम जनता के पास ही हैं पड़ा..
जो बिचारा नौकरी छोड़ नोट बदल रहा हैं....
सच मे यारों मेरा देश बदल रहा हैंं....??

स्वतंत्रता से जीने का अधिकार हैं छीना जा रहा...
सारे देशवाशियों को चोर समझा जा रहा...
कोई लोगों की मजबूरियों पे हैं ठहाके लगा रहा...
राजतंत्र हैं जनता को धमका रहा....
क्या सच में मेरा देश बदल रहा हैं...??


कोई कहता ये देश जल रहा हैं.
कोई कहता ये देश संभल रहा हैं...
पर हर कोई यहां राजतंत्र के इशारो पर ता- ता थैया कर रहा है...
क्या सच में मेरा देश बदल रहा हैं...???

No comments:

Post a Comment