Saturday, 10 January 2015

एक बिहारी व्यापारी दिलली की बैँक मेँ गया,

एक बिहारी व्यापारी दिलली की बैँक मेँ गया,
और बैँक मेनेजर से रु.50,000 का लोन मांगा.
बैँक मेनेजर ने गेरेँटर मांगा

बिहारी ने अपनी BMW कार 🚔जो बैँक के सामने पार्क की हुई थी उसको गेरेँटी के तरीके से जमा करवा दी.

मेनेजर ने गाडी के कागज चैक किए,
और लोन देकर गाडी को कस्टडी मेँ खडी करने के लिए कर्मचारी को सुचना दी.
बिहारी 50,000 रुपये लेकर चला गया.

बैँक मेनेजर और कर्मचारी उस बिहारी पर हँसने लगे और बात करने लगे कि यह करोडपति होते हुए भी अपनी गाडी सिर्फ 50,000 मेँ गिरवी रख कर चला गया.

कितना बेवकुफ आदमी है.😗😗

उसके बाद 2 महीने बाद बिहारी वापस बैँक मे गया और लोन की सभी रकम देकर अपनी गाडी वापस लेने की इच्छा दर्शायी.

बैँक मेनेजर ने हिसाब-किताब किया और बोला : 50,000 मुल रकम के साथ 1250 रुपये ब्याज.
बिहारी ने पुरे पैसे दे दिए.

बैँक मेनेजर से रहा नही गया और उसने पुछा : कि आप इतने करोडपति होते भी आपको 50,000 रुपयो कि जरुरत कैसे पडी.?

बिहारी ने जवाब दिया : मैँ बिहार से आया था.
मैँ अमेरिका जा रहा था.
दिलली से मेरी फ्लाइट थी.
दिलली मेँ मेरी गाडी कहा पार्क करनी है यह मेरी सबसे बडी प्रोबलम थी.

लेकिन इस प्रोबलम को आपने हल कर दिया.
मेरी गाडी 🚔भी सेफ कस्टडी मेँ दो महीने तक संभाल के रखा और 50,000 रुपये
खर्च करने के लिए भी दिए दोनो काम करने का चार्ज लगा सिर्फ 1250 रुपये.

आपका बहुत बहुत धन्यवाद.!

इसिलिए कहते है दोस्तो कि

"जो न कटे आरी से , वो कटे िबहारी से " .....

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