आज तक समझ नहीं पाया
बाल संवरे हुए
चेहरा पुता हुआ
कपडे सफ़ेद झक
फिर भी
दिल काला क्यों है
बातों में मिठास
व्यवहार में कुशल
फिर भी हरकतों में
छिछोरापन क्यों है
बड़ा मकान
घर में नौकर चाकर
भरपूर धन
ज़मीन जायदाद
फिर भी भ्रष्ट क्यों है
खुद का घर परिवार
पत्नी बच्चे
फिर भी महिलाओं पर
कुत्सित दृष्टि क्यों है
जनता की सरकार
अपनों का अपनों पर राज
आज तक समझ नहीं पाया
फिर भी
जनता गरीब क्यों है
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