💐 पानी को कितना भी गर्म कर लें पर वह थोड़ी देर बाद अपने मूल स्वभाव में आकर शीतल हो जाता हैं।💐
💐 इसी प्रकार हम कितने भी क्रोध में, भय में, अशांति में रह लें, थोड़ी देर बाद-बोध में, निर्भयता में और प्रसन्नता में हमें आना ही होगा क्योंकि यही हमारा मूल स्वभाव है कुछ बोलने और तोड़ने मेंकेवल एक पल लगता है*
जबकि बनाने और मनाने मेंपूरा जीवन लग जाता है।*
प्रेम सदा
माफ़ी माँगना पसंद करता है,
और अहंकार सदा
माफ़ी सुनना पसंद करता है..?
🌺🙏शुभ प्रभात🙏🌺
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