Saturday, 28 March 2015

कंपनी भग्वद गीता

हे पार्थ, || तुम पिछली इन्क्रीमेंट का पश्चाताप मत करो || || तुम अगली प्रमोशन की चिंता भी मत करो || || बस अपनी करंट ड्यूटी से ही प्रसन्न रहो || || तुम जब नहीं थे, तब भी ये कंपनी चल रहा थी || || तुम जब नहीं होगे, तब भी ये कंपनी चलती रहेगी || || जो टारगेट आज तुम्हारा है, कल किसी और का था || || वो कल किसी और का होगा || || तुम इसे अपना समझ कर मगन हो रहे हो || || यही तुम्हारी समस्त दुखों का कारण है || || प्रमोशन, इन्क्रीमेंट,छुट्टी, बोनस और इंसेंटिव जैसे शब्द अपने मन से निकाल दो || || फिर तुम कंपनी के और ये कंपनी तुम्हारी होगी ||

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