हे पार्थ,
|| तुम पिछली
इन्क्रीमेंट का पश्चाताप मत करो ||
|| तुम अगली प्रमोशन की चिंता भी मत करो ||
|| बस अपनी करंट ड्यूटी से ही प्रसन्न रहो ||
|| तुम जब नहीं थे, तब भी ये कंपनी चल रहा थी ||
|| तुम जब नहीं होगे, तब भी ये कंपनी चलती रहेगी ||
|| जो टारगेट आज तुम्हारा है, कल किसी और का था ||
|| वो कल किसी और का होगा ||
|| तुम इसे अपना समझ कर मगन हो रहे हो ||
|| यही तुम्हारी समस्त दुखों का कारण है ||
|| प्रमोशन, इन्क्रीमेंट,छुट्टी, बोनस और इंसेंटिव जैसे शब्द अपने मन से निकाल दो ||
|| फिर तुम कंपनी के और ये कंपनी तुम्हारी होगी ||
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