Sunday, 20 April 2014

Whats the value of women in socity then??

Whats the value of women in socity then?? ------------------------ देह मेरी , हल्दी तुम्हारे नाम की । हथेली मेरी , मेहंदी तुम्हारे नाम की । सिर मेरा , चुनरी तुम्हारे नाम की । मांग मेरी , सिन्दूर तुम्हारे नाम का । माथा मेरा , बिंदिया तुम्हारे नाम की । नाक मेरी , नथनी तुम्हारे नाम की । गला मेरा , मंगलसूत्र तुम्हारे नाम का । कलाई मेरी , चूड़ियाँ तुम्हारे नाम की । पाँव मेरे , महावर तुम्हारे नाम की । उंगलियाँ मेरी , बिछुए तुम्हारे नाम के । बड़ों की चरण-वंदना मै करूँ , और 'सदा-सुहागन' का आशीष तुम्हारे नाम का । और तो और - करवाचौथ/बड़मावस के व्रत भी तुम्हारे नाम के । यहाँ तक कि कोख मेरी/ खून मेरा/ दूध मेरा, और बच्चा ? बच्चा तुम्हारे नाम का । घर के दरवाज़े पर लगी 'नेम-प्लेट' तुम्हारे नाम की । और तो और - मेरे अपने नाम के सम्मुख लिखा गोत्र भी मेरा नहीं, तुम्हारे नाम का । सब कुछ तो तुम्हारे नाम का... नम्रता से पूछती हूँ... आखिर तुम्हारे पास... क्या है मेरे नाम का?

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